बसंत पंचमी 2023 में कब है

26 जनवरी 2023, गुरुवार


बसंत पंचमी का पर्व पूरे देश में बड़ी ही श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। इस पर्व को सरस्वती पूजा के नाम से भी जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन से वसंत ऋतु का आगमन होता है। यह एक हिंदू त्योहार है जिसे जीवन में समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। यह पर्व माघ मास की पंचमी तिथि को मनाया जाता है, इसलिए इसे बसंत पंचमी के नाम से जाना जाता है। यह साल का वह समय होता है जब खेतों में सरसों के पीले फूल खिलने लगते हैं। इसी वजह से वातावरण बेहद खूबसूरत नजर आने लगता है।


वसंत पंचमी का महत्व

सोमवार व्रत में व्यक्ति को प्रातः स्नान करके शिव जी को जल और बेल पत्र चढ़ाना चाहिए तथा शिव-गौरी की पूजा करनी चाहिए। शिव पूजन के बाद सोमवार व्रत कथा सुननी चाहिए। इसके बाद केवल एक समय ही भोजन करना चाहिए।


बसंत पंचमी की कहानी -

त्रेता युग में रावण द्वारा माता सीता जी का हरण करने के बाद जब श्री रामचन्द्र जी उनकी खोज में दक्षिण की ओर बढ़ते हुए दंडकारण्य नामक स्थान पर पहुँचे, उस दिन बसंत पंचमी ही थी। दंडकारण्य नामक स्थान पर शबरी नाम की एक भीलनी रहती थी। यह वही शबरी हैं जिनका वर्णन रामायण में श्री रामचन्द्र जी को जूठे बेर खिलाकर किया गया है। दंडकारण्य का वह क्षेत्र इन दिनों गुजरात और मध्य प्रदेश में फैला हुआ है। गुजरात के डांग जिले में एक ऐसी जगह है जहां आज भी शबरी मां का आश्रम और मंदिर है। यहां के निवासी आज भी एक शिला की पूजा करते हैं, जिसके बारे में कथा है कि श्री रामचंद्र जी यहां आकर बैठे थे।


जिस प्रकार ब्रह्माजी चाहते थे इस बात से ब्रह्मा जी ने चिंतित होकर भगवान श्री विष्णु जी का आवाहन किया जब भगवान विष्णु जी प्रकट हुए तो उन्होंने ब्रह्माजी से कहा कि मां देवीशक्ति ही इस समस्या का समाधान कर सकती है। इस पर दोनों ने मां देवीशक्ति का आव्हान किया और मां देवीशक्ति दोनों के समक्ष प्रकट हुई। उनके एक हाथ में वीणा और दूसरा हाथ वर मुद्रा में था तीसरे हाथ में पुस्तक और चौथे हाथ में अक्ष माला थी। श्वेत वस्त्र धारी देवी कमल पर विराजमान देवी ने ब्रह्मा जी को प्रणाम किया तथा ब्रह्मा जी ने उन्हें सरस्वती नाम दिया ब्रह्माजी के कहा कि आज से मां सरस्वती आपकी सहगामिनी होंगीं। और जीवों तथा मनुष्य में मां सरस्वती ज्ञान और कला का विस्तार करेंगीं। इसीलिए बसंत पंचमी का त्योहार मां सरस्वती के आशीर्वाद से प्रकृति के कण-कण खिल जाने पर मनाया जाता है। देवी सरस्वती को बागीश्वरी, भगवती, शारदा, वीणावादनी और वाग्देवी सहित अनेक नामों से जाना व पूजा जाता है। ये विद्या एवं बुद्धि प्रदाता हैं। संगीत की उत्पत्ति करने के कारण ये संगीत की देवी भी हैं। बसंत पंचमी के दिन को इनके जन्मोत्सव के रूप में भी मनाते हैं।


बसंत पंचमी किस माह में मनाई जाती है?

हर साल माघ माह की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी (Basant Panchami 2023) का त्योहार मनाया जाता है, और इस दिन मां सरस्वती की पूजा की जाती है।


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