महाशिवरात्रि 2023 में कब है
18 फरवरी 2023, गुरुवार
महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है?
श्रीमद्भागवत पुराण की इस कथा के अनुसार एक बार शिव जी और सती जी जा रहे थे, तभी उन्होंने दंडकारण्य में राम और लक्ष्मण को देखा जो देवी सीता को ढूंढ रहे थे। तभी शंकर जी ने उन्हें प्रणाम किया, और मां सती को भ्रम हो गया, कि ऐसा कैसे हो सकता है कि निराकार भगवान साकार हो जाए और साकार हो भी गया, तो अपनी स्त्री को ढूंढ रहा है।
वह तो सर्वत्र हैं। सर्वांतर्यामी है। उसको मालूम होना चाहिए उसकी पत्नी कहां है, अस्तु यह भ्रम हो जाता है शंकर जी उन्हें समझाते हैं सतीजी नहीं मानती है तो शंकर जी कहते हैं जाओ परीक्षा ले लो शंकर जी जब परीक्षा लेने को कहते हैं, तो सतीजी माता सीता का भेष धारण करके वहा जा कर बैठ जाती हैं। तभी रामजी उन्हें तुरंत पहचान लेते और कहते हैं कि माताजी पिताजी कैसे है ऐसा देख सती को और भ्रम हो जाता है। कि क्या बात है तो जब सती वापस आती हैं शिवजी के पास तो वह झूठ बोल देती है कि मैंने राम की परीक्षा नहीं ली लेकिन शिवजी अंतर्यामी इसलिए वह जान गए कि यह मेरी माता सीता का भेष धारण करके परीक्षा लेने गई थी। उन्होंने सोचा कि इन्होंने मेरी मां का स्वरूप धारण किया है अतः इस जन्म में तो इनके साथ अब पति पत्नी का रिश्ता नहीं रह सकता। इसलिए उन्होंने अपने मन ही मन में सती को त्याग दिया था। बाद में सती जी को यह शंका हो ही गई थी कि शिव जी ने मुझे मन ही मन त्याग दिया है।
एक दिन जब दक्ष (सती के पिता )यज्ञ करवा रहे थे लेकिन शिवजी को नहीं बुलाया था सतीजी जिद करने लग गई शंकर जी से की मैं भी जाउंगी तो उन्होंने कहा कि ठीक है जाओ गणों को साथ भेजा सतीजी जब यज्ञ में जाती है तो देखती है कि वहां पर शिव जी का आसन नहीं है तो वह अपने पति का अपमान समझकर वहीं पर अपने आप को योग अग्नि में भस्म कर लेती है। इसके बाद फिर स्वयं राम शंकर जी के पास गए और उन्होंने कहा था कि जब शादी के लिए प्रस्ताव आएगा तो आप हाँ कर दीजिएगा। फिर बाद में यही सती जी मां पार्वती का अवतार लेकर आती है पिता हिमनरेश और माता मैना के घर में उसके बाद फिर 9 योगेश्वर ने मां पार्वती की परीक्षा ली। पार्वती जी ने उनसे कहा कि मैं या तो शिवजी से शादी करूंगी नहीं तो अनंत काल तक कुंवारी रहूंगी ऐसा जवाब मिलकर शिवजी का विवाह हुआ। और जिस दिन शिव जी का विवाह हुआ, वह दिन महाशिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है।
महाशिवरात्रि का महत्व
महाशिवरात्रि पर भगवान शिव की पूजा उपासना की जाती है और उपवास रखा जाता है ऐसा करने से जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। महाशिवरात्रि के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करके सूर्यदेव को जल अर्पण करना चाहिए। फिर लोटे मे पानी भर कर गंगाजल की कुछ बूंदे डालकर उसमें थोड़ा दूध मिलाकर, बेलपत्र, आक और धतूरे का फूल आदि डालकर शिवलिंग पर चढ़ाना चाहिए। महाशिवरात्रि पर शिवजी की आराधना के दौरान शिव चालीसा, महामृत्युंजय मंत्र और पंचाक्षर मंत्र ऊं नम: शिवाय का जाप करना चाहिए।
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