2023 में होली कब है?
बुधवार, 8 मई, 2023
होली क्यों मनाई जाती है? और होली में रंगों से क्यों खेला जाता है?
होली पर रंग लगाने के रंगों से खेलने के दो धार्मिक कारण हैं।
पहला कारण होली के बारे में सबसे प्रचलित कहानी है प्रह्लाद और होलिका की हिरण्यकश्यप राजा की बहन होलिका के पास वर्मा जी से वरदान में मिला हुआ 1 वस्र था। जिसको ओढ़ने के बाद आग होलिका को नहीं जला पाती थी, इस वरदान का लाभ उठाकर हिरण्यकश्यप ने भगवान विष्णु के भक्त अपने खुद के पुत्र प्रह्लाद को मरवाना चाहा इसके लिए होलिका लकड़ियों के ढेर पर जलती हुई आग में प्रह्लाद को लेकर बैठ गई। लेकिन हवा के झोंके से अग्नि से रक्षा करने वाला वस्त्र उड़कर प्रह्लाद के ऊपर आ गया जिसकी वजह से प्रह्लाद जीवित बच गया और होलिका जल कर मर गई जब वहां के लोगों को इस घटना की जानकारी मिली तो अगले दिन लोगों ने रंगों के साथ और गुलाल के साथ पूरी नगरी में उत्सव मना कर अपनी खुशी जाहिर की उस दिन के बाद हर साल होली पर रंगों से खेलने की परंपरा शुरू हो गई।
दूसरा कारण रंग और गुलाल के साथ खेलने की परंपरा राधा और कृष्ण के प्रेम से भी जुड़ी हुई है। कहते हैं कि बचपन में भगवान श्रीकृष्ण अपनी माता से अपने सांवले और राधा के गोरे होने की शिकायत करते थे। श्रीकृष्ण अपनी माता यशोदा से कहते थे कि राधा बहुत सुंदर है गोरी है, तो मैं इतना काला या साँवला क्यों माता यशोदा उनकी बात पर बहुत हंसती थी, और बाद में उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण को सुझाव दिया। कि वह जिस रंग में राधा को देखना चाहते हैं, उसी रंग को राधा के मुख पर लगा दे भगवान श्री कृष्ण को यह बात बहुत पसंद आई वैसे भी श्री कृष्ण बचपन में काफी चंचल और शरारती स्वभाव के थे इसीलिए वो राधा को तरह तरह के रंगों से रंगने के लिए चल दिए और श्रीकृष्ण ने अपने मित्रों के साथ राधा और सभी गोपियों को जमकर रंग लगाया जब श्री कृष्ण राधा और अन्य गोपियों को तरह-तरह के रंगों से रंग रहे थे। तब उनकी यह प्यारी शरारत सभी ब्रिज वासियों को बहुत पसंद आई माना जाता है। कि इसी दिन से होली पर रंगों से खेलने का चलन शुरू हो गया था, और होली पर रंगों से खेलने की यह परंपरा आज भी निभाई जा रही है।
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